नेताओं को अपने वार्डो में कडी परिश्रम करने के साथ ही क्षेत्र के मूलभूत समस्याओं और विकास को लेकर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता
दुर्ग शहर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नगरीय निकाय चुनाव सम्पन्न हुआ जहां दुर्ग शहर में भाजपा के 40 चालीस पार्षद , कांग्रेस के 12 पार्षद और निर्दलीय 8 पार्षदों ने चुनाव में जीत हासिल कि गई आपको पता होगा इससे पहले छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह लगातार तीन बार के मुख्यमंत्री रहे।
उसके बाद कांग्रेस से भूपेश बघेल के द्वारा गढ़बो नवा छत्तीसगढ कि शुरुआत करते हुए विगत पांच वर्षों तक मुख्यमंत्री बने रहे और दुर्ग शहर में उन्ही के शहर सरकार रहे महापौर धीरज बाकलीवाल साथ ही सत्ता परिवर्तन के चलते एक वर्ष से भाजपा के मुख्यमंत्री हैं। और दुर्ग में उन्ही के विधायक गजेंद्र यादव और ललित चंद्राकर है।
और भाजपा शासनकाल में हि एक वर्ष तक कांग्रेस के पूर्व शहर सरकार महापौर धीरज बाकलीवाल रहे और आपको बता दे की दुर्ग शहर स्थित अलग अलग वार्डो से दो विधायकों और महापौर का निवास स्थान है। कहने का तात्पर्य यह है की जिस शहर में लगातार पांच वर्षों तक कांग्रेस के महापौर पद का दायित्व निभाया गया
और भाजपा के विधायक बने शहर में एक वर्ष से ऊपर हो गया हैं विधायक और पूर्व महापौर अपने हि वार्डो से पार्षद प्रत्याशी को चुनाव मेंं जिताने मे विफलता हाथ लगी ऐसे मे इन बड़े नेताओं के एक वर्ष और पांच वर्षों के कार्यकाल में विकास को लेकर प्रश्न उठने लगी है।
इससे यह साबित होता हैं की इन नेताओं के कार्यकाल से क्षेत्र के जनता शायद खुश नही है तभी तो विधायक के वार्ड से भाजपा पार्षद प्रत्याशियों द्वारा और कांग्रेस महापौर प्रत्याशी और पार्षद सहित चुनाव मेंं हार का सामना करना पड़ा जबकि खास बात तो यह हैं की भाजपा विधायक ललित चंद्राकर के वार्ड नंबर 13 मोहन नगर भाजपा विधायक गजेंद्र यादव के वार्ड 49 विद्युत नगर से भाजपा प्रत्याशियों और पूर्व महापौर धीरज बाकलीवाल के वार्ड ब्राम्हण पारा के कांग्रेसी पार्षद प्रत्याशी चुनाव हार गये
भाजपा पार्षद प्रत्याशी और कांग्रेस पार्षद प्रत्याशी यह धोखे में रहे कि इस वार्ड से महापौर और इस वार्ड से विधायक आते हैं इसलिये हमे कोई नहीं हरा सकता यह गलतफहमी उन प्रत्याशियों के लिए हार का कारण बना
इस तरह से देखा जाए तो भाजपा विधायकों के वार्ड और पूर्व महापौर के वार्ड से भाजपा और कांग्रेस के डमी पार्षद प्रत्याशियों को खडी करने के कारण चुनाव मेंं शायद हार का कारण तो नही बना होगा इन नेताओं को अपने वार्डो में कडी मेहनत और परिश्रम करने के साथ हि क्षेत्र के विकास को लेकर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
भाजपा विधायक के पार्षद प्रत्याशियों अपने क्षेत्र से तीसरें और पांचवे बार चुनाव में हार हार गया एवं पूर्व महापौर अपने हि वार्ड के प्रत्याशियों को नही जीता पाया ये कैसी विडम्बना है इससे साफ जाहिर होता हैं कि क्षेत्र कि जनता इन नेताओं के एक वर्ष और पांच वर्षों के कार्यकाल से कितना खुश और कितना नाखुश है। लोग भले भाति समझते है। उन पार्षद प्रत्याशियों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण साबित तो नहीं हुई होगी