मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप राज्य के ग्रामीण अंचलों में स्थित बरसाती नालों को जल संग्रहण, सिंचाई एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए संरक्षित एवं उपयोगी बनाने के उद्देश्य से संचालित नरवा विकास कार्यक्रम का सार्थक परिणाम पूरे राज्य में दिखाई देने लगा है। सुराजी गांव योजना के चार घटकों में शामिल नरवा को संरक्षित किए जाने से नाले के आसपास के इलाकों में भू-जल संवर्धन, निस्तार, सिंचाई की सुविधा के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण एवं जैव विविधिता को बढ़ावा मिला है।
बेमेतरा जिले के ग्राम पंचायत भुरकी से प्रारंम्भ होकर ग्राम पंचायत जेवरी तक लगभग 15 किलोमीटर लम्बाई वाले करवा नाला के उपचार से इसे नया जीवन मिला है। अब इस नाले में फरवरी-मार्च महीने तक जल भराव रहने के कारण किसानों को रबी फसलों के सिंचाई के लिए भी सुविधा मिलने लगी है। नाले के किनारे स्थित गांवों में भू-जल स्तर और खेतों में हरियाली बढ़ी है। यह नाला ग्राम पंचायत भुरकी से हथमुड़ी, डुंडा, ओटेबंध, रजकुडी, और जेवरी से होकर जाता है। करवा नाला में जल की रोकथाम के लिए इसके शुरूआती हिस्से से लेकर आखिरी हिस्से तक जगह-जगह उपचार कार्य कराया गया है। नाले में एक करोड़ 10 लाख रूपए की लागत से 42 संरचनाएं निर्मित की गई है। 105 किसानों ने नाले में जल भराव का लाभ उठाकर रबी की खेती करने लगे है। जिससे उनकी आमदनी में इजाफा हुआ है। क्षेत्र में सिंचित रकबा बढ़कर लगभग 345.12 हेक्टेयर हो गया है। इस बरसाती नाले में उपचार से पहले बमुश्किल सितम्बर-अक्टूबर तक पानी रहता था। नरवा के ड्रेनेज ट्रीटमेंट और कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट के बाद अब इसमें फरवरी-मार्च तक पानी रहने लगा है। करवा नरवा के पुनर्जीवन के लिए किए गए योजनाबद्ध कार्यों ने किसानों की खुशहाली और समृद्धि का रास्ता खोल दिया है।