राज्य सरकार को एक आदेश जारी करने कि आवश्यकता कि सभी सरकारी स्कूलों को प्राईवेट और शासकीय कर्मचारियों के बच्चों को शासकीय स्कूलों में पढ़ाई लिखाई कराई जाएं ताकि स्कूलों का सुधार हो सकें लेकिन ऐसा नहीं होगा…
बच्चों के पढ़ाई-लिखाई और खेल कूद उनके जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। जब बच्चे इस पड़ाव में जाते हैं तो उनके मन और दिमाग में अनेकों सवाल उठते दिखाई देता है। और आपको बता दें कि जब बच्चे जन्म लेते हैं तो शून्य वर्ष से लेकर तीन वर्ष तक उनके माता-पिता द्वारा पहली गुरु मानी जाती है क्योंकि अपने बच्चों के प्रति अनेकों सपने संजोए रखना
अनेकों योजनाएं बनाते दिखाई देना साथ ही बच्चों द्वारा पहली शिक्षा अपने माता-पिता से ग्रहण करते हैं। सरकार द्वारा बच्चों के पढ़ाई-लिखाई और खेल कूद को लेकर अनेकों योजनाएं तैयार किया जाता है जिसमें कुछ ही योजनाएं धरातल में लागू होता है एक तरह से सरकार भी बच्चों के प्रति बहुत ही चिन्तित दिखाई देते हैं।
इसलिए कक्षा नर्सरी से लेकर आठवीं तक मध्यान्ह भोजन से लेकर बच्चों के कापी किताब, सहित कम्पलीट युनीफार्म और यहां तक कि सभी बच्चों को आठवीं तक पास करने कि आदेश किया गया ताकि कोई भी बच्चे पढ़ाई-लिखाई से वंचित न हो उसके बाद कक्षा नवमी में बच्चों को स्कूल आने जाने में परेशानियां न हो इसके लिए साईकिल भी वितरण कि जाती है
अभी अभी छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बच्चों के सेहत और मनोबल बढ़ाने के साथ ही उनके अंदर छीपे कला को बाहर निकालने हेतु शनिवार का दिन बैग फ्री और खेल-कूद का दिन रखी गई है। जब छत्तीसगढ़ सरकार बच्चों के पढ़ाई-लिखाई और खेल-कूद को लेकर इतनी चिंतित दिखाई देते हैं।
तो स्कूल और खेल मैदान को ठीक-ठाक क्यों नहीं करते आज बहुत से स्कूल खंडहर एवं किचड़ से किच-किच और स्कूलों में जलभराव कि स्थिति निर्मित होना साथ ही स्कूल पहुंच मार्ग उबड़-खाबड़ साथ ही दलदल से भरी हुई रहती हैं। कई स्कूलों में बरसात के दिनों में पानी भर जाना साथ ही स्कूल कि छत से पानी टपकने से बच्चों के पढ़ाई-लिखाई प्रभावित होना जिससे बच्चों को अपने पढ़ाई लिखाई को लेकर किसी भी प्रकार के मन नहीं लगना इन सभी गतिविधियों के कारण पढ़ाई लिखाई के लिए मानसिकता नहीं बनना
शिक्षकों का वेतन योग्यतानुसार होनी चाहिए क्योंकि भारी-भरकम वेतन होने के बाद भी स्कूलों में पढ़ाई लिखाई ढप और कुछ शिक्षकों द्वारा स्कूलों से आएं दिन नदारद और न ही शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलो का निरक्षण एवं जायजा लेना उचित नहीं समझते हैं आज सरकारी स्कूलों के शिक्षकों कि लापरवाही बरतने के कारण बच्चों का भविष्य खराब एवं संकटमय जिसके कारण से प्राईवेट स्कूलों को मनमानी करते दिखाई देना
जबकि खासबात तो यह है कि स्कूलों में पढ़ाई लिखाई और खेल-कूद के लिए सरकार द्वारा लाखों करोड़ों रुपए शायद फंड जारी होती होगी तो भी वह पैसे स्कूलों के संधारण और खेल-कूद में उपयोग में क्यों नहीं लाई जाती है। साथ ही आज पालकों द्वारा स्कूलो के खराब कंडिशन होने के कारण अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ाना चाहते
एक तरफ स्कूलों और खेल मैदान कि स्थिति खराब तो वहीं दुसरी ओर स्कूलों में शिक्षकों के कमी होने के कारण स्कूलो में पढ़ाई लिखाई नहीं होती है। कई स्कूलों में शिक्षक महिनों से स्कूल से गायब रहते हैं तो वहीं कुछ शिक्षकों द्वारा बच्चों के पढ़ाई-लिखाई कराने को छोड़कर बंद कमरे में मोबाइल से अपने परिवारों में फोन में लगे रहना या फिर वाटशाप चलाते बैठे रहना
ऐसे स्थिति में सरकार को ठोस निर्णय लेने कि आवश्यकता है राज्य सरकार को सभी सरकारी स्कूलों को प्राईवेट कर देनी चाहिए राज्य सरकार को एक आदेश जारी कर देना चाहिए कि शासकीय कर्मचारियों के बच्चे शासकीय स्कूलों में पढ़ाई लिखाई करेंगे तभी स्कूलों में सुधार हो सकती है सरकार का जो नारा है सब बढहे और सब पढहे कहीं न कहीं फैल साबित हो रही है।
सरकारें बदलती रहती हैं आते और जाते रहते हैं लेकिन स्कूलो में समस्याएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती एवं जस के तस दिखाई देते हैं नये नये योजनाएं निकालते दिखाई देते हैं। कुछ योजनाएं धरातल पर तो वहीं कुछ योजनाएं कोरे कागजों पर दिखाई देते हैं। क्योंकि शायद सरकार ही नहीं चाहते कि सरकारी स्कूलों और खेल मैदानों चकाचक रहे अगर ऐसा तो बच्चे सरकारी स्कूलों को छोड़कर प्राईवेट स्कूलों में क्यों पढ़ने लिखने जाते बडा सवाल?
कही सरकार द्वारा प्राईवेट स्कूलों को आगे बढ़ाने कि मंनसा तो नहीं होगी इसलिए सरकारी स्कूलों में अनेकों समस्याएं जिससे स्कूली बच्चों को अनेकों प्रकार के दुर्घटनाओं और बिमारियां फैलने कि खतरा लगातार बनी हुई रहती है। सरकारी स्कूलों के बच्चों को अक्सर जांन का खतरा मंडराता दिखाई दे रहे हैं। सरकारी स्कूलों के बच्चों के पालकों को आगे आने आवश्यकता तभी स्कूलों का उद्धार हो सकता है।