तात्कालिक महापौर सरोज पांडे ने कई प्रयास किए थे जिसमें से एक दुर्ग जिला कलेक्ट्रेट के सामने स्थित एकता द्वार भी था
शहर को सुंदर और सुसज्जित बनाने के लिए शहर की सरकारे लगातार कोशिश करती है इसी तरह दो दशक पहले भी शहर को सुंदर व्यवस्थित और सुसज्जित बनाने के लिए तात्कालिक महापौर सरोज पांडे ने कई प्रयास किए थे जिसमें से एक दुर्ग जिला कलेक्ट्रेट के सामने स्थित एकता द्वार भी था
एकता द्वार यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि वहां कई वर्षों पुरानी मजार है तो वही मजार के ही सामने मंदिर भी है जिसे ध्यान में रखते हुए इस विशालकाय द्वार का नाम एकता द्वार रखा गया लाखों रुपए के बजट से तात्कालिक समय में बनाए गए एकता द्वार की एकता पूरी तरह छिन्न भिन्न हो चुकी है।
आज तक एकता द्वार पूर्ण रूप से बन ही नहीं पाया आज भी देखने पर एकता द्वार के ऊपर का हिस्सा अधूरा है लेकिन इसे बनाने की जहमत शहर की सरकारो ने नहीं उठाया चाहे वो कोंग्रेस की शहर सरकार हो या बीजेपी की इस एकता द्वार का रंग रोगन किए भी कई साल बीत गए और न ही किसी भी प्रकार के लाईटिंग कि व्यवस्था कि गई तो वही एकता द्वार के इर्द गिर्द अतिक्रमण कारियो ने कब्जा कर रखा है।
वहां दुकाने लगती है तो वही ऑटो और ई रिक्शा वालों ने तो इसे घोषित ऑटो स्टैंड ही बना लिया है लेकिन नगर निगम और जिला प्रशासन की आंखें फिलहाल बंद है फिलहाल एकता द्वार कब तक पूर्ण होता है और कब इसका रंग रोगन कर शहर की सरकार इसको पूरा बनाकर इसके नाम के अनुरूप इस एकता द्वार को सुसज्जित करती है ये अभी भी बड़ा सवाल है।