जनदर्शन दरबार में पहुंचने वाले लोगों को अनेकों खामियां क्योंकि उसके पहले सड़कें के बड़े बड़े गढ्ढे उबड़-खाबड़ और जल भराव गंदा पानी को लांघकर जाना कलेक्ट्रेट परिसर में भारी समस्या तो हम बाकी शहर और ग्रामीणों कि क्या स्थिति निर्मित होगी
दुर्ग कलेक्ट्रेट परिसर के सामने पार्किंग स्थल के चारों ओर जल भराव कि स्थिति निर्मित हो गई है। जहां प्रवेश द्वार से लेकर कलेक्ट्रेट मुख्य द्वार तक सड़कें उबड़-खाबड़ एवं बड़े बड़े गढ्ढे हो गई है। जिससे लोगों को पानी में फिसलने एवं उबड़-खाबड़ सड़कों पर दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
जहां कलेक्टर सहित सभी विभागीय अधिकारियों का आने-जाने के साथ ही पार्किंग स्थल में गाडियां खड़ी कि जाती है। वहीं सभी जगहों पर लबालब पानी भरी हुई है। ऐसे इन अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ना है। क्योंकि इन अधिकारियों के कार्यालयों में साफ-सफाई नहीं पानी और गंदगी भरी हुई रहती है।
जबकि खासबात तो यह है कि कलेक्ट्रेट परिसर में हर सोमवार को जनदर्शन दरबार लगाई जाती है। जहां लोगों द्वारा अपनी मूलभूत समस्याओं को लेकर आवेदन के माध्यम से कलेक्टर के सामने गुहार लगाते दिखाई देते हैं। और लगभग हर सोमवार को 100 से 200 के अंदर आवेदन जमा होती है।
जहां लोगों के अधिकतम मूलभूत समस्याएं सड़क, नाली, बिजली, पानी, आवास, मकान, अवैध कब्जा, अवैध अतिक्रमण, जमीन विवाद, नवीनीकरण, सौंदर्यीकरण मुआवजे कि मांग, सहायता राशि सहित अनेकों समस्याएं लेकर जनदर्शन दरबार में आवेदनों के माध्यम से कलेक्टर को अवगत कराते हुए ज्ञापन सौंपते दिखाई देते हैं।
और मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में टीएल बैठक होती दिखाई देते हैं। जहां जम्मो अधिकारियों कि उपस्थिति रहते हैं। जो अधिकारी कभी भी ड्यूटी से नदारद रहते हैं वे भी मीटिंग में बकायदा उपस्थित रहते हैं। जहां पीड़ित लोगों के आवेदनों के निराकरण को लेकर विचार-विमर्श करते दिखाई देते हैं। शायद गिनती के कुछ लोगों के ही आवेदनों का निराकरण होता होगा बाकी सब जस के तस बनी हुई रहती होगी
हम इसलिए कह रहे हैं कि कलेक्ट्रेट परिसर के सामने जहां अनेकों खामियां एवं समस्याएं दिखाई दिए वहीं दूर एवं निदान नहीं हो पाया तो हम बाकी जनदर्शन दरबार में पहुंचे पीड़ितों के समस्याएं कैसे दूर एवं निराकरण होती होगी जो लोगों के मन में अनेकों सवाल उठते दिखाई दिए
नागरिकों को अपनी दुःख पीढ़ा सुनाने एवं बतानें के लिए कलेक्टर के पास पहुंचना आसान नहीं है। क्योंकि उसके पहले सड़कें के बड़े बड़े गढ्ढे और जल भराव गंदा पानी को लांघकर और उबड़-खाबड़ सड़कों को छलांग लगाकर जाना पड़ेगा लोगों को गंभीर बीमार एवं दुर्घटनाओं का भय लगातार बनी हुई रहती है