मोहनदास करमचंद गांधीजी फिर भी मुस्कुरा रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है की उन्हें लोग सिर्फ नोटों में पसंद करते हैं चौक चौराहों और मूर्तियों में नहीं
दुर्ग शहर के हदय स्थल हिन्दी भवन के पास स्व. राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी का प्रतिमा स्थापित कि गई है। जब से मूर्ति कि स्थापना कि गई तब से इस चौक का नाम गांधी चौक रखीं गई है।आपको बता दें कि आजादी के महा पर्व के शुभ अवसर पर 15 अगस्त, 26 जनवरी और 2 अक्टूबर को उनकी याद में महात्मा गांधी जयंती मनाई जाती है।
इस अवसर पर गांधी जी को याद करते हुए पूजा अर्चना कर उनके फोटो पर पुष्पांजलि अर्पित कि जाती है। देश के लोग राष्ट्र पिता, बापूजी और महात्मा गांधी के नाम जाने जाते हैं। उन्होंने न सिर्फ भारत बल्कि समूचे विश्व को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया गया
आज जब चोरों को चोरी करने के लिए कुछ नहीं देखा तो चोरों द्वारा महात्मा गांधी जी के चश्मे को ही लेकर चले गए चोरी करने वाले लोग किसी को नहीं छोड़ते चाहे भगवान हो ,चाहे नेता हो और चाहे कोई भी हो.उनको तो सिर्फ चीजें चुराना है तो चुराना है।
जहां पर चोरों ने देश के राष्ट्रपिता और स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी को भी नहीं छोड़ा है.दरअसल शहर में बापू का चश्मा भी चोरी हो गया. बता दें कि इन्हीं का नाम लेकर राज्य में कांग्रेस सत्ता में आ गई दुर्ग नगर निगम से महज 10 कदम की दूरी पर कलेक्टर कार्यालय से महज 20 कदम की दूरी पर स्थित
और सबसे बड़ी बात दुर्ग संभाग के आयुक्त जहां बैठते हैं उनके दफ्तर के ठीक सामने महज तीन कदम की दूरी पर यह गांधीजी की प्रतिमा है असामाजिक तत्वों के द्वारा राष्ट्रपिता गांधी जी का चश्मा गायब है लेकिन मोहनदास करमचंद गांधीजी फिर भी मुस्कुरा रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है की उन्हें लोग सिर्फ नोटों में पसंद करते हैं।
चौक चौराहों और मूर्तियों में नहीं…. जिला प्रशासन और निगम प्रशासन को शर्म आनी चाहिए रोजाना सैकड़ों अधिकारी खुद कलेक्टर, एसपी,महापौर और विधायक इसी रास्ते से गांधी जी को देखते हुए निकलते हैं…
राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के प्रतिमा के चारों ओर अव्यवस्थित और गंदगी रहना बंद सिंगनल लाईट लम्बे अरसे से आंधी-तूफान में प्रतिमा के पास गिरकर पढ़ें रहना एक तरफ शासन प्रशासन द्वारा स्वच्छता अभियान के लिए गांधी जी के चश्मे को उपयोग में लाना और दुसरी ओर गांधी जी के प्रतिमा से चश्मे गायब होना
उसके बाद भी मोहनदास करमचंद गांधीजी फिर भी मुस्कुरा रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है की उन्हें लोग सिर्फ नोटों में पसंद करते हैं।चौक चौराहों और मूर्तियों में नहीं