निगम के कुछ जिम्मेदार अधिकारियों एवं प्रथम नागरिक सहित जिम्मेदार नेताओं के मिलीभगत से खराब वाहनों में पेट्रोल डीजल भराने एवं नये वाहनो कि खरीदी के नाम पर करोड़ों का भ्रष्टाचार
आज हम आपको दुर्ग शहर नगर निगम के अंतर्गत अवगत करायेंगे एक तरफ राज्य सरकार द्वारा दुर्ग शहर सहित अनेकों शहर को स्मार्ट सिटी बनाने को लेकर शहरवासियों के लिए अनेकों योजनाएं बनाई जा रही है तो वहीं दुसरी ओर निगम के कुछ कर्रामचारियों एवं नेताओं द्वारा निगम को चुना लगाने में जुटी हुई हैं।
दरासल सुत्रो एवं जानकारों के मुताबिक पता चला कि कुछ माह पहले निगम कार्यालय में शहर के अनेकों कार्यों हेतु भारत सरकार के पंद्रहवें वित्त पैसे से नई नई एवं बड़े-बड़े वाहनों कि खरीदी कि गई जैसे चैन जेसीबी गाड़ी छोटे एवं बड़े वाले चैन जेसीबी गाड़ी एवं दो बड़े बड़े बेक होल्डर जेसीबी और चार ट्रक खरीदी गई
अगर देखा जाए तो टोटल सभी वाहनों कि कीमत देखी जाए तो करोड़ों रुपए कि लागत खर्च आंकी गई है और बिल में लगभग करीब करोड़ों रुपए लागत होने का खर्च दर्शाई गई है। जबकि खासबात तो यह है कि गाड़ियों कि मूल्य कीमत से ज्यादा का रसीद बनाकर कमाई करने अधिक भूगतान दर्शाई गई है।
इस तरह लगभग आठ से दस वाहनों कि गाड़ियों कि खरीदी कि गई थी जो जांच का विषय बन गई है। इससे और कुछ महिनों पहले टाटा मोटर्स के छोटे हाथी गाड़ियों और बड़े वाहनों कि खरीदी भी कि गई थी और ये सब गाड़ियों को खरीदने के लिए अपने नजदीकी चेहते को वर्क आर्डर दे दी जाती है। ताकि भ्रष्टाचार आसानी से हो सकें
जबकि खासबात तो यह है कि बड़े बड़े वाहनों कि खरीदी तो कर ली गई है लेकिन उपयोग में नहीं लाई जा रही है। और खरीदी गई नये वाहनों निगम कार्यालय में भी नहीं है। आखिर बड़े बड़े जो नये वाहनों चैन जेसीबी गाड़ियों एवं बेक होल्डर जेसीबी गाड़ियों को कहा रखी गई है। ये भी जांच का विषय बनी हुई है। वाहन खरीदी में करोड़ों कि भ्रष्टाचार एवं हेर-फेर होने कि अनुमान लगाई जा रही है।
और इस करोडो कि भ्रष्टाचार में जिम्मेदार अधिकारी एवं शहर के जिम्मेदार प्रथम नागरिक सहित जिम्मेदार नेताओं और कुछ एमआईसी प्रभारी सहित वाहन शाखा विभाग के कुछ लोगों कि मिलीभगत से ये करोड़ों के भ्रष्टाचार कर निगम को खोखला करने में तुली हुई है। साथ ही आपको बता दें कि निगम कार्यालय में लगभग सैकड़ों वाहन है।
और आधी से भी कम गाड़ियों को उपयोग में लाई जाती है लेकिन सभी वाहनों के नाम से पेट्रोल डीजल का लगभग 700 लीटर का पैसा निगम के फंड से रोजाना निकाली जाती है। और उसका कोई हिसाब किताब नहीं होता है। एक दिन का होता तो कोई बात नहीं लेकिन पुरे महिनों वैसे ही चलते हैं। जबकि निगम कार्यालय में बहुत से वाहनों कंडम होकर खराब पड़ी हुई है।
उसके बाद भी उस वाहन गाड़ियों के नाम से पेट्रोल डीजल का पैसा निकाली जाती है इस तरह से देखा जाए तो जिम्मेदार लोगों द्वारा वाहनों में पेट्रोल डीजल भराने एवं वाहन खरीदने के नाम पर लगभग करोड़ों का भ्रष्टाचार का मामला सामने आई है।
और न ही निगम प्रशासन आज तक संज्ञान में लेना दूर कि बात निरक्षण करना उचित नहीं समझे आप लोग भले भाती समझते हैं। शायद इसी वजह से इससे साफ जाहिर होता कि वाहनों कि खरीदारी से लेकर वाहनों में पेट्रोल डीजल भराने को लेकर जो भ्रष्टाचार सामने आ रही है उसमें सभी जिम्मेदार लोग संलिप्त होते दिखाई दे रहे हैं तभी तो आज तक कोई कार्यवाही नही हुई