भरोसे के सरकार द्वारा झूठी घोषणाएं संयुक्त पुलिस परिवारो से किए गए छल (घोषणा पत्र) से जागी उमीदों की पूर्ति ना होने के कारण झूठी घोषणाएं ‘उमीदों की अर्थी की शांतिपूर्ण पदयात्रा निकलकर मुंडन कराकर शिवनाथ नदी में विसर्जित कि गई…
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जो आपके द्वारा 2018 के घोषणा पत्र से पुलिस सुधार के लिए जो वादे किए गए थे वह अभी तक अपूर्ण है, पुलिस सुधार शब्द से ही यह प्रतीत होता है कि पुलिस विभाग में अनेक आनिमिताएँ / कमियाँ है, जिसका सीधा असर जनता के हित पर होता है। यह आपके जारी घोषणा पत्र से प्रतीत होता है, जिसके प्रमुख बिन्दु निम्नानुसार है।
1. पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने पश्चात तत्काल सिपाही बना दिया जाता है, परंतु पुलिस विभाग के अभिन्न अंग सहायक आरक्षक को आरक्षक बनने में 09 साल की बाधा क्यों उत्पन्न की गई ।
2. पुलिस विभाग में केवल 100 – 50 रुपए के ही भत्ते प्रदान किए जाते है, जब 65 विधायकों द्वारा 2800 गैड़ पे एवं 04 स्तरीय पदोन्नति की अनुशंसा की गई है तो शासन को प्रदान करने में क्या आपत्ति है ?
जिन कर्मचारियों को जनता की सेवा के लिए मैदानी इलाकों में काम करना चाहिए वह अधिकारियों के घर में बंगला ड्यूटी करते हैं, जिस कारण मंदिर हसौद में हुई दुष्कर्म एवं खुर्थीपार जैसी घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हो गई है ।
2018 में नगर सैनिकों के लिए तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल जी द्वारा 28,000/- रुपए वेतन प्रदान करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री रमन सिंह को पत्र लिखा गया तो आज क्यों नहीं किया जा रहा है ? जेल प्रहरी को ना ही साप्ताहिक अवकाश प्रदान किया जाता है ना ही पदोन्नति दी जाती है। एवं ना ही नक्सल भत्ता दिया जाता है।
6. IPS एवं राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों का संगठन है जब राज्य इनको संगठन गठित करने का अधिकार प्रदान करता है तो सिपाहियों का संगठन बनाए जाने में आपत्ति क्यों ? Ze क्या छत्तीसगढ़ ऐसा पहला राज्य है जहां मुख्यमंत्री द्वारा बनाई गई कमिटी पर अधिकारी 02 साल से अधिक समय बीत जाने के पश्चात भी कोई सुनवाई नहीं कर रहे है ?
आपके द्वारा किए गए घोषणा पत्र के वादों की मांग आवेदन एवं निवेदन करने पर मुझे सिपाही पर झूठा राजद्रोह (02 जिलों में) जैसी घृणित धाराएं लगाई गई है एवं 06 FIR दर्ज कर एक सिपाही के साथ ऐसा अन्याय भरा सलूक किया गया तो आम जनता का क्या होता होगा, क्या यह नफरत की पहचान है या मोहब्बत की दुकान है।
आरक्षण संजीव मिश्रा ने दुर्ग कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अनुमति मांगी गई और उस आरक्षण को अनुमति भी प्रदान कि गई जिसमें दिनांक 02/10/2023 को जिला दुर्ग के पुलिस लाईन के सामने करीब 12:00 बजे मैं अपना सर मुड़वा कर
2018 में संयुक्त पुलिस परिवार से किए गए छल (घोषणा पत्र) से जागी ऊमीदों की पूर्ति ना होने के कारण ‘उमीदों की अर्थी की शांतिपूर्ण पदयात्रा निकलकर शिवनाथ नदी में विसर्जित कि गई इस प्रकार इन पुलिस परिवारो के लिए घोषणा पत्र झूठी साबित हुई